नारी - लेखनी प्रतियोगिता -28-Feb-2022
सर्वविदित है यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
देवता सदैव हैं करते निवास वहाँ
किन्तु करे जो अपमान नारी का
मिल सके कभी उसे सुकून कहाँ।
नारी होती नहीं कोई शब्द मात्र है
छिपा हुआ उसमें सम्पूर्ण ब्रम्हांड है,
वह पालती नर को अपनी कोख में
उसकी महिमा अत्यंत ही प्रकांड है।
बनती है कभी दुर्गा तो कभी काली
कभी ममता में बनती वह मतवाली
कभी मदर टेरेसा-सी करे सर्व सेवा
परोपकार में ही वह पाती सुख मेवा।
कभी मीरा समान बनती प्रेम दीवानी
वीरांगना बन रोके अंग्रेजों की मनमानी
नारी में ही बसी है कुंती और पन्नाधाय
तेरे अनुपम रूप सब को सदा लुभाए।
किरण बेदी बन पापी को सबक सिखाए
गुंजन सक्सेना सी हवा में परचम लहराए
नारी है लक्ष्मी, यशोधरा और सावित्री वो
तप व बुद्धि से यमराज को भी हराये जो।
नारी है वह अरुणिमा और सुधा चंद्रन
होकर विकलांग जिसने ना किया क्रंदन
हार कर भी जो कभी ना मानती है हार
नारी तो है ईश्वर का ऐसा अद्भुत उपहार।
हो ममत्व, प्रेम, दया, त्याग या साहस
हर भाव में होती है नारी सब पर भारी
रहती वह सदा तैयार लेने हर जिम्मेदारी
है विधाता की यह सृष्टि तो बड़ी न्यारी।
नारी है सृष्टि की जननी, संसार की धुरी
बिन नारी सूना संसार, है दुनिया अधूरी
शक्ति स्वरूपी प्रेरणा स्रोत आज की नारी
बाधाओं को हरा बनी सम्मान की अधिकारी।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश
Seema Priyadarshini sahay
01-Mar-2022 06:20 PM
बहुत खूब
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
01-Mar-2022 12:11 PM
Outstanding
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Dr. Arpita Agrawal
01-Mar-2022 12:25 PM
Thank you Shashank ji
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Shrishti pandey
01-Mar-2022 09:41 AM
Nice
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Dr. Arpita Agrawal
01-Mar-2022 12:25 PM
Thank you Srishti ji
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